रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। आरबीआई ने मौजूदा चालू वित्त वर्ष में लगातार छठी बार नीतिगत ब्याज दर में इजाफा किया है। इस बढ़ोतरी के साथ ही रेपो रेट बढ़कर 6.50 फीसदी पर पहुंच गई है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में बढ़ोतरी की घोषणा की है।
MPC के 6 में से 4 सदस्य रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष में रहे
इस संबंध में RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिन चली समीक्षा बैठक के बाद रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान किया। शक्तिकांत दास ने प्रेस को संबोधित करते हुए बताया कि MPC के छह में से 4 सदस्यों ने रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष में अपनी सहमति जताई है।
उन्होंने कहा कि जनवरी-मार्च 2023 के दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर 5.6 फीसदी रहने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल इसी समय पर यह 5.9 फीसदी रही थी।
वित्त वर्ष 2023-24 में GDP 6.5 फीसदी रहने का अनुमान
वहीं आरबीआई गवर्नर ने वित्त वर्ष 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। हालांकि, आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7 फीसदी ही रखा गया है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक के आंतरिक सर्वेक्षण के मुताबिक विनिर्माण, सेवा और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनियां कारोबारी परिदृश्य को लेकर वे आशान्वित है। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव, विभिन्न देशों में वित्तीय स्थिति कड़ी होने तथा विदेशों में कमजोर मांग की स्थिति घरेलू परिदृश्य के लिए जोखिम हैं।
रिजर्व बैंक गवर्नर ने बताया कि स्थिर मूल्य पर वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उन्होंने आगे कहा कि अगले वित्त वर्ष में अप्रैल-जून और जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर क्रमश: 7.8 फीसदी और 6.2 फीसदी रहने का अनुमान है। अक्टूबर-दिसंबर और जनवरी-मार्च तिमाही में इसके क्रमश: छह फीसदी और 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है।
रेटिंग एजेंसियों का भी GDP वृद्धि दर छह से 6.5 फीसदी रहने का अनुमान
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से निपटने के लिए आरबीआई का मौद्रिक नीति के स्तर पर तत्परता से कदम उठाने का सिलसिला आगे जारी रहेगा। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते वक्त जीडीपी वृद्धि दर 6.5 फीसदी और मौजूदा वित्त वर्ष के लिए सात फीसदी रहने का अनुमान जताया था। कई प्रमुख अर्थशास्त्रियों और रेटिंग एजेंसियों ने भी देश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर छह से 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
महंगाई दर 4 फीसदी के दायरे से ऊपर रहने की संभावना
वहीं आरबीआई गवर्नर ने वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई दर 4 फीसदी के दायरे से ऊपर रहने की संभावना जताई है। उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने इससे पहले दिसंबर, 2022 में रेपो दर में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी की थी।
मौजूदा वित्त वर्ष में अब तक 6 बार नीतिगत ब्याज दर में हुआ इजाफा
केंद्रीय बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में अब तक छह बार नीतिगत ब्याज दर में इजाफा किया है। इससे पहले रेपो दर तीन बार 0.50 फीसदी तक बढ़ाई गई। चालू वित्त वर्ष की पहली एमपीसी बैठक में रेपो दर 4 फीसदी पर स्थिर था, लेकिन 2 और 3 मई को आपात बैठक बुलाकर आरबीआई ने रेपो दर 0.40 फीसदी बढ़ाया था। इस तरह रेपो दर 4 फीसदी से बढ़कर 6.25 फीसदी पर पहुंच गया, जो इस बढ़ोतरी के बाद 6.50 हो गया है।
क्या है रेपो रेट ?
आसान शब्दों में समझें तो रेपो रेट वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक द्वारा अन्य बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इस चार्ज से अपने ग्राहकों को लोन प्रदान करता है। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि कस्टमर को कम ब्याज दर पर होम लोन और व्हीकल लोन जैसे लोन मिलते हैं।
रिवर्स रेपो रेट ?
जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है की यह रेपो रेट से विपरीत होता है। बता दें कि, यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में कैश लिक्विडिटी को नियंत्रित करने में काम आती है। मार्केट में जब भी बहुत ज्यादा कैश दिखाई देती है तो आरबीआई रिवर्स रेपो रेट को बढ़ा देता है। इससे बैंक ज्यादा से ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा देते हैं।