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NCR: पदोन्नत स्थानांतरण, प्राथमिता, ट्रांसफर एलाउंस और लीव में खूब चलीं ‘मनमर्जियां’

NCR: पदोन्नत स्थानांतरण, प्राथमिता, ट्रांसफर एलाउंस और लीव में खूब चलीं ‘मनमर्जियां’

प्रयागराज: उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज डिवीजन के वाणिज्य विभाग की महिमा निराली है। फाइलों के नीचे यदि ‘सुविधा’ का फूल लग जाए तो बड़े-छोटे बाबू मिलकर किसी भी कर्मचारी के पदोन्नति, स्थानांतरण, भुगतान और लीव वाली बत्ती लाल-हरी कर सकते हैं। भले ही इसके लिए रेलवे को ‘चूना’ लग जाए। हैरत तो तब है जबकि डिवीजन में महकमें के वह अफसर भी आंख पर पर्दा डालकर भ्रष्टाचार के इस हिस्से को खामोशी से हस्ताक्षर करते जाते हैं। वैसे विभाग में एक कहावत बड़ी आम हो चली है कि हर दस्तखत की कीमत होती है। दस्तखत में वजन कितना डालना है यह झमेला बड़े छोटे बाबू, ब्रोकर कर्मी तय कर लेते हैं।

फिलहाल, मूल मुद्दा है वाणिज्य विभाग के टीटीई से पदोन्नति हुए डिप्टी सीआईटी बने कर्मचारियों के पदोन्नत स्थानांतरण, ट्रांसफर एलायस, ज्वानिंग लीव और प्राथमिता वाले स्थानांतण का।

सूत्र बताते हैं कि 20 मई 2022 को TTE से DyCIT पद पर पदोन्नति की निकली सूची में 150 कर्मचारी लाभान्वित हुए। इसमें कोई दोष भी नहीं है। पदोन्नति अटकी थी। सोमदेव, हो गई। दस्तखत के ‘नापतौल’ खेल इसके बाद शुरू हुआ।

कानपुर सेंट्रल और प्रयागराज जंक्शन पर डिप्टी सीआईटी के पद रिक्त होने के बाद भी बड़ी संख्या में कर्मियों को छिवकी और टूंडला जैसे स्टेशनों पर भेजा गया। रेलवे के जानकारों का दावा है कि रेलवे बोर्ड के आदेश के अनुसार होम स्टेशन पर पद रिक्त होने पर ट्रांसफर के जरिए रेलवे राजस्व को नुकसान न पहुंचाया जाए। फिलहाल, स्थानांतरित कर्मियों ने बोर्ड से अनुबन्ध दर के अनुसार ट्रांसफर एलाउंस और 10 दिनों के ज्वानिंग लीव का आनंद उठाया।

बात यहां तक भी असामान्य नहीं थी। महीनेभर के अंदर ही डिवीजन के 13 डिप्टी सीआईटी ने प्राथमिकता पर स्थानांतरण का आवेदन लगाया। इसमें टूंडला से कानपुर सेन्ट्रल आने वालों को उनकी प्राथमिकता के आधार पर वापस बुला लिया गया। इसके विपरीत प्रयागराज जंक्शन की प्राथमिकता वाली फाइल कार्मिक विभाग को लौटा दी गई है।

सवाल है कि महीनेभर में ही कानपुर से टूंडला गए कर्मियों को वापस फिर कानपुर सेन्ट्रल बुलाना था तो ट्रांसफर एलाउंस और ट्रांसफर लीव जैसी सुविधाओं का दुरुपयोग क्यों कराया गया? कानपुर सेंट्रल की प्राथमिकता सूची को इतना महत्व देने और रेलवे राजस्व को छति पहुंचाने के पीछे सीएमाई प्लानिंग और उनके ‘साहब’ की रुचि के पीछे कहीं भ्रष्टाचार तो नहीं जुड़ा है? फिलहाल, प्रकरण की शिकायत वरिष्ठ पत्रकार संतोष उपाध्याय ने रेलवे बोर्ड, रेलमंत्री, सीवीसी कार्यालय में की है। उधर, मंडल के पीआरओ अमित सिंह का कहना है कि यह सामान्य क्रिया है। हालांकि, महीनेभर में ही स्थानांतरित कर्मियों को वापस कानपुर सेन्ट्रल बुला लेने की वजह पर कुछ नहीं कहा।

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