दिल्ली में रहने वाले सभी अफ्रीकी और बांग्लादेशी लोगों के पासपोर्ट के पुलिस सत्यापन की मांग वाली याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका वकील सुशील कुमार जैन ने आरोप लगाया था कि नशीली दवाओ की तस्करी ज्यादातर अफ्रीकियों द्वारा की जाती है जो अंततः युवाओं को प्रभावित करती है और उनके भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
दिल्ली में रहने वाले सभी अफ्रीकी और बांग्लादेशी लोगों के पासपोर्ट के पुलिस सत्यापन की मांग की गई थी, जिसमें उन्हें ड्रग पेडलर होने का आरोप लगाया गया था।
सुशील कुमार जैन बनाम यूओआई मामले में मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि किसी देश या महाद्वीप के ड्रग पेडलर के रूप में बड़े पैमाने पर ब्रश करने वाले लोग नस्लवादी हो सकते हैं।
कोर्ट ने कहा, “आपके द्वारा कोई शोध नहीं किया गया है … इसका आधार क्या है ?… इन टिप्पणियों को नस्लवादी कहा जा सकता है। वे भी इंसान हैं। उनके पास वैध पासपोर्ट हैं। क्षमा करें, इसमें कुछ भी नहीं है।”