प्रयागराज: दूसरी पारी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जुगाड़, लापरवाह और भ्रष्ट अफसरों पर टूट पड़े हैं। यूपी पुलिस के सबसे बड़े अफसर डीजीपी समेत अब तक आधा दर्जन बड़े अफसर सस्पेंड हो चुके हैं। परंतु, चित्रकूट के संयुक्त आयुक्त उद्योग सुधांशु तिवारी बतौर अतिरिक्त प्रभार लेकर चार वर्ष से जुगाड़ के दम पर गृह जिले में डटे हैं। 25 अगस्त 2018 से प्रयागराज मंडल का अतिरिक्त प्रभार उनके पास है।
हैरत इस बात की है कि मूल तैनाती स्थल चित्रकूट धाम को उन्होंने कैंप कार्यालय और कैंप को मूल कार्यालय स्थल के रूप में तब्दील कर दिया है। अब कर्मचारियों के स्थानांतरण, पदोन्नति और वित्तीय पदोन्नति में भी वसूली के आरोप लगने लगे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की नीति है कि किसी भी अफसर को उसके गृह जिले में तैनाती नहीं दी जाएगी। यह व्यवस्था एक, बी श्रेणी के अफसरों पर ही नहीं, सी श्रेणी के कई पदों पर भी लागू होती है। यही नहीं, वित्तीय, रूप से संवेदनशील पदों पर ग्रुप बी अफसरों को अधिकतम तीन वर्ष की तैनाती की परिपाटी है। हालांकि, जुगाड़ अफसर इससे भी अधिक अवधि तक बने रहते हैं। परंतु, गृह जनपद में बतौर प्रभारी अधिकारी की चाल वर्ष से तैनाती कई सवाल खड़े करती है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि संयुक्त आयुक्त उद्योग सुधांशु तिवारी का गृह जनपद प्रयागराज है। शासकीय नियमावली के अनुसार गृह जनपद में तैनाती संभव नहीं है लेकिन मुख्यालय में जुगाड़ और ‘खाओ-खिलाओ’ व्यवस्था ऐसी है कि प्रदेश के अन्य हिस्सों के अफसर इधर-उधर आ-जा रहे हैं लेकिन वह टस से मस नहीं हुए।
लंबे समय से दो मंडलों का मुखिया होने के कारण वह पूरी व्यवस्था को सुविधानुसार गढ़ और चला रहे हैं। चित्रकूट धाम मंडल मुख्यालय की बजाए वह प्रयागराज में ही अक्सर बैठते भी हैं। बताते हैं कि स्थानीय होने के कारण वह जिला उद्योग केंद्र पर भी उन्होंने पकड़ गहरी कर ली है। फिलहाल, प्रयागराज के उद्योग विभाग में उनकी कारस्तानियों की चर्चा बेशुमार है।