वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रशांत उमराव के एक ट्वीट से वाराणसी के जिलाधिकारी गुस्सा गए। जिलाधिकारी ने ट्वीट कर भाजपा नेता को चेतावनी देते हुए लिखा कि कृपया गलत जानकारी न फैलाएं और न्यायालय के कार्य अपने आप मत करने लगिए। न्यायालय है व्यवस्थाएं तय करने के लिए।
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के नेता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत उमराव ने ट्वीट कर लिखा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद जिलाधिकारी वाराणसी ने वजू वाले तालाब में दोबारा पानी भरवा दिया है और नमाजियों के वजू का गंदा पानी विश्वेश्वर शिवलिंग पर जा रहा है। यह अस्वीकार्य है।
प्रशांत ने अपना ट्वीट डीएम वाराणसी के साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री #योगीआदित्यनाथ और उनके #माईयोगीऑफिस ट्विटर हैंडल पर भी टैग कर दिया। इसके थोड़ी देर बाद ही जिलाधिकारी वाराणसी ने जवाब में ट्वीट करते हुए लिखा कि कृपया गलत जानकारी न फैलाएं और न्यायालय के कार्य अपने आप मत करने लगिए। न्यायालय हैं देश में व्यवस्थाएं तय करने के लिए। न्यायालय ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया। तालाब का पानी कभी भी पूरा नहीं निकाला गया। उसका केवल लेवल कम किया गया था।
प्रशांत उमराव और जिलाधिकारी के ट्वीट के बाद बड़ी संख्या में जवाब में लोगों ने जिलाधिकारी वाराणसी को हटाने की मांग उठानी शुरू कर दी। तमाम लोगों ने डीएम वाराणसी के खिलाफ लिखा है।
बाद में प्रशांत उमराव ने एक और ट्वीट कर लिखा कि मान्यवर डीएम वाराणसी कोर्ट का आदेश था कि जहां शिवलिंग मिला है, उस स्थान को सील किया जाए व केवल 20 मुसलमानों को अनुमति हो। इसके बावजूद आज 100 से अधिक नमाजियों ने शिवलिंग वाले तालाब पर वजू करके नमाज अदा की। न्यायालय के आदेश को पालन कराने की जिम्मेदारी किसकी थी?
इसी ट्वीट के जवाब में अनिल त्रिपाठी हैंडल से वाराणसी के सिविल जज रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट का वह आदेश पत्र भी अपलोड किया, जिसके आधार पर मस्जिद परिसर में निकले शिवलिंग को सील करने उसे संरक्षित करने और सुरक्षित रखने का आदेश दिया गया है। इस पत्र में न्यायालय ने केवल 20 लोगों को ही मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति देने का आदेश भी दिया है। आदेश में साफ तौर पर लिखा हुआ है कि नमाजियों को वजू करने से भी रोक दिया जाए। सील किए गए स्थान पर किसी व्यक्ति का प्रवेश भी वर्जित किया गया है। हालांकि, इस पूरे आदेश में जिस तालाब में शिवलिंग मिला है उसको पूरी तरह से खाली रखने या उसमें दुबारा पानी भरने का कोई जिक्र नहीं है। लेकिन वजू न करने देने का जिक्र जरूर है।