लखनऊ: काशी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर और मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले के बाद आगरा के ताजमहल का विवाद भी न्यायालय की चौखट पहुंच गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल कर ताजमहल के बंद 20 कमरों को खोलने और उसकी जांच करने की मांग की गई है।
ताजमहल को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल होने की जानकारी रविवार को सामने आई है। याचिका में एएसआई से ताजमहल परिसर के अंदर 20 से अधिक कमरों के दरवाजे खोलने की मांग की गई है।
साथ ही याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से राज्य सरकार को एक तथ्य खोज समिति गठित करने की मांग भी की है।
इसमें मुगल सम्राट शाहजहां के आदेश पर ताजमहल के अंदर छिपी मूर्ति और शिलालेखों जैसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक साक्ष्यों की तलाश करने का निर्देश देने की भी मांग है।
याचिकाकर्ता डॉ रजनीश सिंह ने याचिका में तर्क दिया है कि ताजमहल एक पुराना शिव मंदिर है, जिसे तेजो महालय के नाम से जाना जाता था।
याचिका में दलील दी गई है कि कई इतिहासकारों ने भी इस बात का समर्थन किया है। 4 मंजिली इमारत के ऊपरी और निचले हिस्से में 22 कमरे हैं, जो स्थाई रूप से बंद है। दावा किया जा रहा है कि उन कमरों में भगवान शिव का मंदिर है।
याची ने बीजेपी अयोध्या इकाई के मीडिया प्रभारी होने का दावा किया है।अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से याचिका दाखिल की गई है।
कहा गया है कि ताजमहल प्राचीन स्मारक है और स्मारक के संरक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। इसके बारे में सही और पूर्ण ऐतिहासिक तथ्यों को जनता के सामने लाना चाहिए।