प्रयागराज, किसी भी कार्य की शुरुआत कितनी भी छोटी ही लेकिन अगर हौसले बुलंद हों तो अंजाम अच्छा ही होता है। यह साबित कर रहे हैं मेजा ब्लाक स्थित पथरा गांव के सुशील कुमार, जो कि एक टीबी चैंपियन हैं। साथ ही अब वह निक्षय मित्र की भूमिका में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि टीबी मरीजों को गोद लेने के लिए आगे आ रहे हैं। उन्हें पोषण किट वितरित कर रहे हैं। मैं जनपदवासियों से अपील करूंगा कि सक्षम लोग आगे आये और दूसरों की मदद करें। सभी के साथ मिलकर ही हम जनपद को क्षय मुक्त बना सकेंगे।
सुशील ने बताया कि वह वर्ष 2014 में टीबी ग्रस्त हुए थे। वह बताते हैं कि मुझे लगातार महीनों खासी की समस्या थी और काफी इलाज के बाद बीमारी ठीक नहीं हुई तो डॉक्टर की सलाह पर बलगम जाँच कराना था | घर से 20 किलोमीटर की दूर जाकर सरकारी अस्पताल में बलगम की जांच कराई। उसी जांच में टीबी की पुष्टि हुई। उन्होंने बताया कि समाज में टीबी मरीजों के साथ दुराव की भावना बहुत थी। लोग टीबी रोगी को रोगी नहीं बल्कि बीमारी का अड्डा कहते थे। लोग बात करना बंद कर देते थे और यही कारण था कि काफी समय तक मैंने अपने बीमारी की बात किसी को नहीं बताई। जांच भी इसी डर से घर से दूर जाकर कारवाई। हालांकि जब खांसी जब मुझे लगातार आने लगी तो मैंने अपने परिवार वालों को अपनी बीमारी के बारे में बताया। मैं सौभाग्यशाली हूं कि मेरा पूरा परिवार मुझे लगातार सहयोग करता रहा है।
उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों के साथ काम करते हुए लम्बा समय हो गया है। इनके प्रति लोगों का व्यवहार देखकर कष्ट भी होता है। आजकल लोग या संस्थाओं की ओर से निक्षय मित्र के रूप में टीबी मरीजों की मदद की जा रही है। मैंने सोचा कि मैं भी इसका हिस्सा बनूँ। फिर क्या, शुरुआत तो छोटी थी लेकिन सफलता इस छोटे से प्रयास को बल देती जा रही है।
वह बताते हैं कि मैंने निक्षय मित्र के रूप में क्षय रोगी शीला देवी निवासी पथरपुर कोरावं को पूरे ईलाज के दौरान उसे पोषणाहार और सहयोग का निर्णय लिया। शीला की आर्थिक स्थिति ख़राब थी। उसे दो वक़्त की रोटी भी मिलन मुश्किल था। साथ में उस पर बच्चों की जिम्मेदारी अलग से थी।