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खुद को शूद्र बता दलितों और पिछड़ों को एकजुट करना चाहते हैं अखिलेश, केशव का पलटवार

खुद को शूद्र बता दलितों और पिछड़ों को एकजुट करना चाहते हैं अखिलेश, केशव का पलटवार

लखनऊ  : कहां चर्चा थी कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव श्रीरामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी करने वाले एमएलसी स्वामी प्रसाद यादव के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अखिलेश यादव के दांव ने भारतीय जनता पार्टी को चौकन्ना कर दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ भाजपा नेता और हिंदूवादी नेता आक्रामक हुए तो अखिलेश यादव ने खुद को शूद्र कहकर दलितों के साथ खड़ा करने की कोशिश कर दी। इससे इस बात की संभावना जताई जाने लगी है कि सपा मुखिया दलितों और पिछड़ों का गठजोड़ बनाना चाहते हैं जो सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के नामों से भी झलकता है, जिसमें दलित और पिछड़े नेताओं की बहुतायत है।

श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों पर बदजुबानी करना स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए कोई नई बात नहीं है। बहुजन समाज पार्टी में रहने के दौरान वह अक्सर ऐसा करते रहे हैं। 2017 से 2022 के दौरान योगी सरकार का मंत्री रहते हुए उन्होंने अपनी जुबान पर ताला जरूर लगा लिया था लेकिन भाजपा का साथ छोड़ते ही उन्होंने फिर पुराना राग अलापना शुरू कर दिया है। तब स्वामी की जुबान बसपा को रास आती थी, अब समाजवादी पार्टी की मुखिया को पसंद आने लगी है। भाजपा नेताओं को भी इस बात का एहसास होने लगा है कि स्वामी को डांट ना लगाकर अखिलेश ने उनकी जुबान को मौन स्वीकृति ही नहीं दी बल्कि पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाकर उस पर मुहर भी लगा दी है।

2024 का लोकसभा चुनाव करीब होने के कारण यह तो पूरी तरह साफ हो गया है कि अब पूरी पेशबंदी उसके लिए ही है। योगी सरकार की तरफ से अखिलेश यादव पर हमले की कमान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने संभाली है। उन्होंने सोमवार को ट्वीट कर लिखा कि खुद को शूद्र बता श्री अखिलेश यादव पिछड़ों, दलितों की सहानुभूति लेना चाहते हैं, लेकिन वह अपने मकसद में कभी सफल नहीं होंगे। भाजपा की डबल इंजन सरकार सबका साथ, विकास, विश्वास की नीति पर चल कर गरीबों का उत्थान किया है। सपा सरकारों की तरह शोषण, गुंडागर्दी, दंगाइयों की मदद व भ्रष्टाचार नहीं किया है।

दूसरे ट्वीट में उन्होंने अपनी बात को और आगे बढ़ाते हुए लिखा कि सपा सरकारों के कार्यकाल का काला इतिहास यूपी की जनता जानती है। आज भी गुंडे, अपराधियों, दंगाइयों के सिवा सपा के पास कुछ नहीं बचा है। भाजपा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश प्रदेश के गरीबों पिछड़ों दलितों का भविष्य है। वोट बैंक की जगह चोट बैंक तैयार है।

अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव ने भी स्वामी की बात का खंडन नहीं किया। बल्कि, अखिलेश यादव के “शूद्र” वाले बयान का समर्थन ही किया है। अखिलेश ने एक दिन पहले श्रीरामचरितमानस को लेकर विवादित टिप्पणी करने के मुद्दे पर मीडिया से कहा था कि वह शूद्र हैं। उन्हें धर्म और पुस्तकों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

अखिलेश के बयान के साथ ही इस बात के कहासुनी शुरू हो गई कि समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव के पहले दलित, पिछड़ा और मुस्लिम समुदाय को एक मंच पर लाना चाहती है। अखिल भारतीय पिछड़ा महासंघ की ओर से लखनऊ में रविवार को स्वामी प्रसाद यादव के समर्थन में श्रीरामचरितमानस की प्रतियां फाड़ने और फूंकने की घटना को भी इसी राजनीतिक परिदृश्य से जोड़कर देखा जा रहा है।

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