सौरभ सिंह सोमवंशी, लखनऊ
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा पूर्वी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष प्रीत कुमार सिंह ने कहा है कि आने वाले समय में कोई भी राजनीतिक दल क्षत्रिय समाज को नजरअंदाज नहीं कर सकता है, प्रीत कुमार सिंह ने कहा कि 1897 में स्थापित अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा आज तक उस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाया जैसा इसको स्थापित करने वाली महान विभूतियों ने सोचा था उन्होंने कहा कि 1897 से लेकर लगातार इस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा महाराजा रहे इसके पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा बलवंत सिंह रहे परंतु 2004 में जब कुंवर हरिवंश सिंह जी को राजा सिंगरामऊ श्री पाल सिंह जी ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर स्थित तिलकधारी सिंह महाविद्यालय में चले तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में अध्यक्ष घोषित किया तब राष्ट्रीय अध्यक्ष हरिवंश सिंह ने दिल्ली मुंबई लखनऊ और तमाम शहरों में इसका कार्यालय खोलकर संगठन को विस्तार दिया और लोगों को जमीनी स्तर तक जोड़कर संगठन को मजबूत किया। आज यह संगठन देश के 17 से अधिक राज्यों में मजबूती के साथ कार्य कर रहा है उन्होंने कहा कि संगठनों के कमजोर होने का कारण यह भी है कि क्षत्रिय समाज के लोग राजनीतिक दलों के कार्यक्रमों में तो बढ़-चढ़कर के भागीदारी करते हैं परंतु अपने ही समाज के कार्यक्रमों में वह भाग लेने से कतराते हैं या तो शर्म महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि यह सोचनीय विषय है की क्षत्रियों के अलावा बाकी सारे राजनेता अपनी जातियों के सम्मेलन में शामिल होते हैं परंतु क्षत्रिय नेता पता नहीं किस बात का डर महसूस करते हैं। प्रीत कुमार सिंह ने बताया कि वह 2009 से इस संगठन से जुड़े हैं और 3 साल पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर हरिवंश सिंह और वरिष्ठ महामंत्री राघवेंद्र सिंह राजू जी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश का दायित्व दिया और वह उसको बखूबी निभा रहे हैं उन्होंने कहा कि संगठन में शामिल कोई भी व्यक्ति किसी भी राजनीतिक दल में हो इस से मतलब नहीं है परंतु उसे संगठन के और समाज के कार्यक्रमों में शामिल होना चाहिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष प्रीत कुमार सिंह ने कहा कि 2014 के पहले क्षत्रियों को अपनी ताकत दिखानी है ताकि राजनीतिक दलों के बीच में यह संदेश जाए कि कोई भी राजनीतिक दल क्षत्रियों को नजरअंदाज करके देश में राजनीति नहीं कर सकता है इस अवसर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश के महामंत्री रणवीर सिंह , पत्रकार सिद्धार्थ प्रताप सिंह और अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।